गुलाम वंश :
कुतुबुद्दीन ऐबक :
कुतुबुद्दीन ऐबक मुहम्मद गौरी का गुलाम था । ऐबक को प्रथम बाद निशापुर बाजार में लाया गया था जिसे फखरुद्दीन अब्दुल अजीज कुकी ने खरीद लिया था फिर बाद में मुहम्मद गौरी की सेवा में आया जिसके बाद उसकी जिंदगी बदल गई । वह मुहम्मद गौरी का खास गुलाम बन गया । तराइन के द्वितीय युद्ध के बाद जीती हुई परदेश का प्रमुख घोषित कर दिया । कुतुबुद्दीन ऐबक का राज्याभिषेक 25 जून 1206 ई को हुआ था । ऐबक ने अपने आस पास के क्षेत्र को अपने सल्तनत में मिलने लगा और फिर दिल्ली में अपना मुख्यालय बनवाया । 1208 ई में गौरी के भतीजे ने ऐबक को सुलतान की उपाधि दे दी । ऐबक को भारत में तुर्की साम्राज्य का संथापक माना जाता है । ऐबक ने कभी सुलतान की उपाधि धारण नहीं की उसने हमेशा सिपहसालार और मालिक की उपाधि धारण की । कुतुब मीनार के निर्माण कर कार्य ऐबक ने ही शुरू करवाया था । 1210 ई में चौगान खेलते समय ऐबक की मौत हो गई ।
आराम शाह:
कुतुबुद्दीन ऐबक के मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी की समस्या को तुर्की सरदारों ने खुद हाल करके आराम शाह को सुलतान घोषित कर दिया । आराम शाह अयोग्य सुलतान था अनेक सरदार उसका विरोध करते थे । दिल्ली के सरदारों ने बदायू के गवर्नर इल्तुतमिश को दिल्ली आने का न्योता दिया । इल्तुतमिश तुरंत दिल्ली के लिए रवाना हुआ जिसका पता आराम शाह को चला तो आराम शाह भी दिल्ली आ पहुंचा लेकिन इल्तुतमिश ने आराम शाह को पराजित कर दिया । और खुद सुलतान बन गया।
इल्तुतमिश :
इल्तुतमिश आराम शाह को पराजित करके दिल्ली की गद्दी बार बैठा । इल्तुतमिश कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम तथा दामाद था । इल्तुतमिश शम्शी वंश का शासक था । हिंदुस्तान में तुर्की साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक इल्तुतमिश को कहा जाता है । भारत में मुस्लिम साम्राज्य का वास्तविक प्रारंभ इल्तुतमिश से ही हुआ । कुतुबुद्दीन ऐबक के साथी गुलाम कुबाचा ने खुद को मुल्तान का सुलतान घोषित कर दिया । इल्तुतमिश को गुलामों का गुलाम कहा जाता है क्योंकि गौरी के गुलाम ऐबक ने इसे खरीदा था । फिर बाद में ऐबक ने अपनी बेटी को शादी इल्तुतमिश से कर दिया । इल्तुतमिश ने ही प्रथम बार इक्ता व्यवस्था चलाई थी । इल्तुतमिश ने पहली बार हिंदुस्तान में अरबी सिक्के चलाएं थे । इल्तुतमिश एक न्यायप्रिय शशक था । इसके शासन काल में न्याय चाहने वाला व्यक्ति लाल कपड़ा पहनता था । इल्तुतमिश को मृत्यु 30 अप्रैल 1236 ई में हुई थी।
राजिया:
ग्वालियर से वापस आने के बाद इल्तुतमिश ने अपनी बेटी राजिया को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। राजिया को अपने भाइयों और तुर्क अमीरों के खिलाफ संघर्ष करना पड़ा। राजिया ने लगभग 3 साल तक शासन की । राजिया लाल वस्त्र पहनकर नमाज के अवसर पर न्याय की मांग करने लग जिससे तुर्क अमीर प्रभित हो गए। क्रुद्ध जनता ने राजमहल पर आक्रमण कर दिया और शाहतुर्कन को गिरफ्तार कर लिया और राजिया को सुलताना घोषित कर दिया। राजिया दिल्ली सल्तनत की प्रथम महिला शासक बनी। राजिया ने पर्दा प्रथा को त्याग दिया और पुरुषों के समान कोट पहन कर दरबार में बैठती थी। 1240 ई को डाकुओं द्वारा उसकी हत्या कर दी गई।
बहरामशाह:
मुइजुद्दीन बहरामशाह राजिया के बाद दिल्ली का सुलतान बना। लेकिन वह कुछ साल तक ही गद्दी पर बैठा। राज्य का वास्तविक शक्ति का संचालन चालीस गुलामों का दल करता था। वह नाम मात्र सुलतान था। शासक पर पाकर बनाने के लिए अमीरों ने संरक्षक का पद बनाया था। लेकिन उसकी बढ़ती लोकप्रियता देखकर बहरमशाह ने उसकी हत्या कर दी। 1241 ई में लाहौर पर मंगल ने हमला कर दिया 1242 ई को बहरामशाह की हाथ कर दी गई।
अलाउद्दीन मसूदशाह:
अलाउद्दीन मसूद शाह रुकनुद्दीन फिरोज शाह का पुत्र था। तथा इल्तुतमिश का पोता था। यह एक अयोग्य व्यक्ति था।इसके शासन काल में मलिक कुतुबुद्दीन हसन को नायब और अबु बक्र को वजीर बनाया गया। बलबन ने महमूद शाह को गद्दी से हटा कर कैद कर लिया जहां उसकी मृत्यु हो गई।
नसीरुद्दीन महमूद :
नसीरुद्दीन महमूद 10 जून 1246 ई को गद्दी पर बैठा। उसने तुर्की अमीरों की शक्ति का अंदाजा लगाकर संपूर्ण सत्ता चालीस एक सरगना और नायब बलवान के हाथो सौंप दिया। नसीरुद्दीन महमूद के शासन काल में पूरी शक्ति बलवान के हाथों में थी।
बलबन :
उगलू खान नमक एक तुर्क सरदार 1265 ई में दिल्ली सल्तनत की गद्दी बैठा । उसने अपना नाम बलबन रखा जो इतिहास में प्रसिद्ध हुआ। इसने बलबानी वंश की स्थापना की थी। गद्दी पर अपना पक्ष मजबूत बनाने के लिए उसने कहा कि वह ईरानी शहंशाह अफरसियाब का वंशज है। बलबन ने मद्यपान का निषेध कर दिया था। बरनी अपना किताब में लिखता है की 1286 ई में बलबन की मृत्यु से दुखी होकर मलिकों ने अपना कपड़ा फ़ाड़ डाला था और नंगे पैर सुलतान के शव को कब्रिस्तान तक ले गया थे। उन्होंने 40 दिन तक बलबन की मृत्यु का शोक माना या था।
मुइजुद्दीन कैकुबाद:
सुलतान के मृत्यु के बाद अमीरों ने कैखूसरो को मुल्तान भेज दिया और बुगरा खां के बेटे कैकुबाद को सुलतान बना दिया। कैकुबाद को सुलतान बनाने में कोतवाल मलिक फखरुद्दीन ने अहम भूमिका निभाई थी । कैकुबाद जब सुलतान बना तब उसकी उम्र सिर्फ 17 साल थी। उसका पलनपोषण उसके दादा बलवान के संरक्षण में हुआ था। कुछ समय बाद कैकुबाद को लकवा हो गया जिसके बाद अमीरों ने उसके बेटे शमसुद्दीन क्यूमर्स को सिंहासन पर बैठा दिया था।
क्यूमर्स:
तुर्की अमीरों ने कैकुबाद के नाबालिग बेटे क्यूमर्स को गद्दी पर बैठा दिया। और जलालुद्दीन को उसका संरक्षक बना दिया। तीन महीने बाद उसकी हत्या करके जलालुद्दीन खुद सुलतान बन गया। इस तरह इल्बरी तुर्कों का सासन खत्म हो गया तथा खिलजी वंश का शासन शुरू हुई।
➤ तुब मीनार की नींव कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी थी ।
➤ दिल्ली का कुव्वतुल मस्जिद एवं अजमेर का ढाई दिन का झोपड़ा भी कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था
➤ कुतुब मीनार के निर्माण को इल्तुतमिश ने पूर्ण करवाया ।
➤ सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के इल्तुतमिश ने जारी किए ।
➤ इल्तुतमिश ने इकता प्रणाली चलाई ।