भारतीय संविधान भाग 3 - मौलिक अधिकार - अनुच्छेद 12-35

 भाग - 3 मूल अधिकार/मौलिक अधिकार ( 12 - 35 )


मौलिक सधिकार को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है | 

मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे , लेकिन 44 वाँ संविधान संशोधन के द्वारा संपत्ति के अधिकार [अनुच्छेद -31 और 19 (vi)  ] को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर इसे अनुच्छेद - 300 क में रखा गया है 

मौलिक अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है और राष्ट्रीय आपात के दौरान अनुच्छेद 352 और व्यक्तिगत सवतंत्रता को छोड़कर सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है | 


अनुच्छेद 12- मूल अधिकार की परिभाषा| 


अनुच्छेद 13- यदि हमारे मूल अधिकार किसी दूसरे के मूल अधिकार को प्रभावित करे तो हमारे मूल अधिकार पर रोक लगाया जा सकता है| 


समता का अधिकार / समानता का अधिकार ( 14 - 18 )


अनुच्छेद 14- विधि के समक्ष समानता का अधिकार अर्थात् कानून के सामान सब बराबर हैं , यह ब्रिटेन से लिया गया है| 


अनुच्छेद 15 - जाती , लिंग , धर्म , जन्म स्थान के आधार पर सार्वजनिक स्थान पर भेद भाव नहीं किया  जायेगा| 


अनुच्छेद 16- लोक नियोजन  - इसमें पिछड़े वर्गों के लिए कुछ समय आरक्षण की चर्चा है| 


अनुच्छेद 17- अस्पृश्यता का अंत  - इसमें किसी के साथ छुआ छूट नहीं किया जा सकता यानि छुआ छूट का अंत| 


अनुच्छेद 18- उपाधियों का अंत [ किन्तु शिक्षा सुरक्षा तथा भारत रत्न , पद्मा विभूषण इत्यादि रख सकते हैं | ] विदेशी उपाधि रखने से पहले राष्ट्रपति से अनुमति लेनी होगी| 


स्वतंत्रता का अधिकार ( 19 - 22 )  


अनुच्छेद 19 - मूल संविधान में सात तरह के स्वंतत्रता का उल्लेख था ,वर्त्तमान में यह सिर्फ छह है | 

अनुच्छेद 19 i  - बोलने की सवतंत्रता |  
अनुच्छेद 19 ii - बिना हथियारों के एकत्रित होने की तथा सभा करने की स्वतंत्रता |  
अनुच्छेद 19 iii -संगठन बनाने की सवतंत्रता | 
अनुच्छेद 19 iv- देश के किसी भी क्षेत्र में बिना रोक टोक के चारो तरफ घूमने की सवतंत्रता | 
अनुच्छेद 19 v - भी क्षेत्र में बसने तथा निवास करने की सवतंत्रता | 
अनुच्छेद 19 vii-कोई भी व्यवसाय करने की  सवतंत्रता |  
अनुच्छेद 19 vi संपत्ति का अधिकार को 44 वाँ संविधान संशोधन 1978 के द्वारा हटा दिया गया | 

अनुच्छेद  20 - दोष - सिद्धि में संरक्षण - 
  1. किसी व्यक्ति को एक अपराध के लिय एक ही सजा दी जाएगी 
  2. अपराधी पर अपराध करने के समय का कानून लागु होगा 
  3. किसी व्यक्ति को खुद के खिलाफ गवाही मान्य नहीं होगी 
अनुच्छेद  21 - प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता : किसी व्यक्ति को उसके जीवन और व्यक्तित्व स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता | 

अनुच्छेद 21 क - राज्य 6 से 14 वर्ष के आयु के बच्चो को निशुल्क शिक्षा प्रदान करेगी | इसे 86 वां संविधान संशोसन 2002 द्वारा जोड़ा गया | 

अनुच्छेद 22 - गिरफ़्तारी में संरक्षण -
  1. किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले उसे कारन बताना होगा 
  2. गिरफ्तार करने के 24 घंटे के अंदर उसे दंडाधिकारी के सामने पेश करना होगा 
  3. उसे अपने पसंद के वकील रखने का अधिकार देना होगा | 

शोषण के विरुद्ध अधिकार ( 23 - 24 ) 

अनुच्छेद 23 - बलात श्रम तथा दुर्व्यापार पैर प्रतिबंध : किसी भी व्यक्ति से बेगारी तथा या जबरदस्ती काम नहीं कराया जा सकता | 

अनुच्छेद 24 - 14 वर्षो से काम उम्र के बच्चो से किसी कारखाने खानों तथा किसी जोखिम वाला काम पैर नहीं लगाया जा सकता  | 

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार  (25 - 28 )

अनुच्छेद 25 - कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मन सकता है तथा उसका प्रचार कर सकता है 

अनुच्छेद 26 - इसमें कोई भी अपने धर्म के लिया संस्थानों की अस्थापना कर सकता तथा इसके अंतर्गत याग हवन तथा सड़क पैर नमाज़ पढ़ने की अनुमति है | 

अनुच्छेद 27 - राज्य किसी धार्मिक कार्य के लिए जमा धन में से टैक्स नहीं ले सकता | 

अनुच्छेद 28 - सरकारी पैसों से चल रहे कोई भी संस्थान में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी | 

संस्कृति एवं शिक्षा संबंधित अधिकार ( 29 - 30 )

अनुच्छेद 29 - अल्पसंख्यक अपनी भाषा , संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है तथा उसे भाषा , जाती , धर्म के आधार पर किसी संस्था में जाने से नहीं रोका जा सकता | 

अनुच्छेद 30 - अल्पसंख्यक अपनी पसंद की संस्था खोल सकते है सरकार  उसे भी चलाने के लिए धन देगी | 

अनुच्छेद 31 - पैतृक संपत्ति की चर्चा जो मूल अधिकार या 44 वां संविधान संशोधन 1978 द्वारा इसे हटा कर 300 (क) में जोर दिया गया| 

अनुच्छेद 32 - इसमें संवैधानिक उपचार का अधिकार है : इसे मूल अधिकार को  मूल अधिकार बनाने वाला अधिकार कहा जाता है , अंबेडकर ने इसे संविधान का आत्मा कहा था | -
बंदी प्रत्यक्षीकरण - यह बंदी बनाने वाले अधिकारी को आदेश देता है की उसे समय के अंदर न्यायलय में पेश कर दे | 
परमादेश - यह उस समय जारी किया जाता है जब कोई पदाधिकारी अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता है तब उसे यह बताने के लिए जारी किया जाता है की  वह अपना कर्तव्य  का पालन करे |  
प्रतिषेध - यह ऊपरी न्यायलय अपने से निचली न्यायालय पर लगाती है और आदेश देती है की यह मामला अपने यहाँ कार्यवाही न करे क्युकी यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है|
उत्प्रेषण - यह ऊपरी न्यायालय अपनी निचली न्यायालय को यह निर्देश देती है कि वे अपने पास लंबित मुकदमों के न्याय - निर्णयन के लिए उसे अपने वरिष्ठ न्यायालय को भेजे |  
अधिकार - पृच्छा - जब कोई ऐसे पदाधिकारी के रूप में कार्य करने लगे जिसके लिए वह अधिकृत न हो तब उस रोकने के अधिकार पृच्छा अता है | 

भीम राव अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान की आत्मा कहा था जो मूल अधिकार को मूल अधिकार बनाता है | 

अनुच्छेद 33 - देश की सुरक्षा के लिए संसद सेना मीडिया तथा गुप्तचर के मूल अधिकार को सीमित  कर सकता है | 


अनुच्छेद 34 - भारत में कहीं भी सेना का कानून लागु हो सकता है | तथा उसके न्यायालय को कोर्ट मार्शल कहते है| 


अनुच्छेद 35 - मूल अधिकार के लागु होने की चर्चा | मूल अधिकार को 7 भागो में बांटा गया है लेकिन वर्तमान में यह केवल 6 है| 

भारतीयों तथा विदेशियों के लिए - 14 , 20 , 21 , 21 क , 23 , 24 , 25 - 28 

केवल भारतीयों के लिए - 15 ,16 ,19 ,29 , 30